दो इश्क की इज़ाज़त…
इलज़ाम अब हटा लो!*
लखनऊ में होना यानि मुस्कुराना। लेकिन क्वीयर समुदाय को ना सिर्फ मुस्कुराने के बल्कि सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार से भी महरूम रखा गया है। २०१४ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़ोर दिये जाने पर भी ‘नालसा’ फैसला पूरी तरह लागू नहीं किया गया है। ‘अवध प्राइड कमिटी’ ने ९ अप्रैल २०१७ को लखनऊ का ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश का भी पहला गर्वोत्सव आयोजित किया, जिसमें क्वीयर समुदाय से हो रही हिंसा और उनके कलंकीकरण के खिलाफ़ आवाज़ें बुलंद की गईं और नालसा को सही तरीके से लागू करने की सिफारिश की गई।
ये गर्वोत्सव था हमारी अस्मिता का, पहचान का। गर्वोत्सव था अपने देह के अधिकार का। गर्वोत्सव था अपने इश्क के इज़हार का, अपने होने के एहसास का। और इस गर्वोत्सव में हम सब मिलकर इतना नाचे जितना कोई अपने यार की शादी में ना नाचता होगा। हमने खुलकर अपने को कबूल किया और हँसते, नारे लगाते, ढोल की थाप पर नाचते मोहब्बत का पैग़ाम दिया।
गर्वोत्सव सिकन्दर बाग चौराहे से लगभग ३ बजे ढ़ोल की आवाज़ पर नाचते हुए शुरू हुआ और हज़रतगंज चौराहे पर लगभग ५ बजे १.५ किमी चलकर खत्म हुआ। गर्वोत्सव के मुख्य आयोजकों में दर्वेश, तंज़ील, कार्तिक, प्रतीक, जय, पायल आदि थे। अवध के पहले गर्वोत्सव में दिल्ली, मुंबई, जयपुर, चेन्नई, चंडीगढ़, इलाहाबाद, वाराणसी से भी लोग शामिल हुए।
अवध प्राइड कमिटी से उनके फेसबुक पृष्ठ या ईमेल पर संपर्क करें।
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