देवेश खाटू

Hindi

कविता: हिजड़ा बोलके नाकरों हमारा आपमान

By जीतू बगर्ती

September 14, 2021

कितने लोग कहते हैं हमें ना-मर्दतो कितने बोलते हे हमें छक्काकितना मज़ाक उड़ाते हमारे हर वक़्त मिल जाता है उनको मौका ।

कितने कठोर है यहाँ के लोग करते हैं हमारा अपमान हम भी अपनी माँ के गोद मे जन्म लिए हैं हम को भी करलो आप थोड़ा सा सम्मान।

कितने लाड प्यार से पले बढ़े होते हैँअपने माता-पिता की उँगलियाँ पकड़ करसमझता नहीं है हमें समाज कर देते हैँ लोग हमको समाज से परे।

सभि लोग हमारा मज़ाक उड़ाके कहते है हमे नामर्द घर वाले भी नहीं समझते हमारी पीड़ा ओर कर देते हैँ घर से बेघर।

विधाता ने बनाया है हमको हमारे भी कुछ हैँ अरमान् सभि बोलते हर लोग समान हैँ यहाँफिर क्यों समाज छिन लेता है हमारा सम्मान् ?

रक्त मास से गढ़ा हुआ शरीर हमारा जिने के लिए दो हमे थोड़ा सम्मान्छक्का, हिजड़ा, नामर्द बोलके ना करो हमे रास्ते पे अपमान ।