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कविता: बधाई हो ! नवजात हुआ है….

By आदित्य अहर्निश

August 16, 2024

बधाई हो !नवजात हुआ हैखुशियों का अंबार लगा हैहाय ! ये क्या हुआ ?तुम सबका चेहराअचानक मातम में क्यों बदल गया ?

हे भगवान ! ये तो किन्नर पैदा हो गयाअरे ! किसी को पता तक नहीं चलेगाइस दो घंटे के बच्चे कानामो – निशान तक नहीं दिखेगाचुपचाप दफना दो इसे एकांत मेंसमय मत बर्बाद करो इसके अंत में

अरे ! कलंक है येअभिशाप है येचंदन पर लिपटा जहरीला सांप है येअच्छा ही होगा मर जाएगा येनहीं तो जीवन भर का कलंक बन जाएगा ये

अरे ! मार दो इसेबड़ा होकर नाम बदनाम करेगातुम्हारी जिंदगी में आया काला नाग बनेगा

अरे ! रुको मत मार दो इसेये बीच वाला ताली बजाकरइज्ज़त उछालेगातुम्हारी जिंदगी पर ग्रहण लगा देगाजिंदगी छीन लो इसकीइसे जीने का अधिकार नहींक्योंकि ये तीसरा !हमारे समाज का नहीं ।

बधाई हो !नवजात हुआ है…।

यह रचना किन्नर के जन्म पर मनाये जाने वाले शोक और हमारे समाज की घटिया सोच को उजागर करते हुए, किन्नरों के जन्म से ही उनके जीवन में आयी मुसीबतों की बाढ़ को दिखाती है। यह कविता किन्नर समुदाय के प्रति घृणित सोच रखने वालों की मानसिकता को हमारे सामने प्रस्तुत करती है ।