‘अर्धनारीश्वर’ – एक कविता
पहनो जो तुम पहनना चाहते हो
करो जो तुम्हारा दिल कहे
ज़माने की बंदिशों को परवरदिगार न समझ
अनासिर बुत न समझ मुझे
मैं भी उतना ही खुदा हूँ जितना है तू घुंगरू ... Read More...
ऋषि राज छात्र हैं और खुद को अभिव्यक्त करने के लिए भाषा का प्रयोग करते हैं। वे समलैंगिक हैं और अपनी भावनाओ एवं परेशानियों को कागज़ पर उकेर कर प्रस्तुत करते हैं।